आखिर क्यों इंसानियत खोने लगी है?
वफ़ा के नाम पे, बेवफाई होने लगी है।
आखिर-क्यूँ, दिलों में शक की दीवार आ गईं
ज़ख़्म एक नही, पूरी बौछार आ गई।
आखिर क्यूँ, हर ज़ुल्म पे तमाशाबीन हो गए
झूठे अफसोस जता कर, ग़मगीन हो गए।
आखिर-क्यूँ, बिन मुंह के जानवर पे अत्याचार किया
दो चार अफसोस जताकर फिर नया समाचार किया।
आखिर-क्यूँ, फिर इश्क़ को बदनाम किया
पेड़ से लटकाकर, फिर एक किस्सा तमाम किया।
आखिर-क्यूँ, किलकारी की गूंज, कचरे से आई है
फिर मुहब्ब्त के नाम पे तबाही मचायी है।
आखिर क्यों खुद को सवालों का ढेर बना दिया
जवाब दिया नहीं फिर एक सवाल बना दिया।
©️Nilofar Farooqui Tauseef
Fb, IG-writernilofar
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