परिवार: एकता और प्यार से बनता हैं,
माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, मामा-मामी, चाचा-चाची, ननद-भाभी,
और न जाने कितने ही आधार हैं इस एक खुबसूरत गुलजदस्तें के,
चाहें हो कितने ही पुष्प यही प्यारें पुष्पों के मिलन को परिवार कहतें हैं!
जब जन्मी खुश परिवार था,
जब बिखरी दुखी पूरा परिवार था।
जब संभली साथ परिवार था,
जब डगमगाई संभाल परिवार ने की।
जब कुछ पाया,
पूरे परिवार संग बांटा।
जब कुछ खोया,
पूरे परिवार ने दिया।
खुशी हो या गम,
हर पल बस एक परिवार ही संग था।
गलती की माफ़ी मिली,
अच्छा किया शाबाशी मिली।
जन्मीं तो परिवार मिला,
मृत्यु हुई तो भी परिवार संग था।
हर पहलू में हैं परिवार,
सचमुच जीवन का सच्चा सार हैं परिवार।
हाँ परिवार प्यार से ही बनता हैं,
प्यार ही होता हैं हर रिश्ते का आधार!
बिना प्रेम के सुना संसार,
और यही प्रेम से बनता हैं हम सब का प्यारा परिवार!
आज भी याद हैं मुझे,
वो गर्मीयों के छुट्टियों में परिवार से मिलने की मेरी उत्सुकता!
गर्मीयों के मौसम की शुरुआत हो चुकी थीं,
सब अपने घर जा रहें थेंं!
मैं भी तैयार बैठी थीं,
मेरी उत्सुकता की कोई सीमा न थीं!
घर पहुँचकर देखा तो सब शांत,
कोई नहीं आया था!
मैं रो पड़ी,
मेरी बहुत इच्छा थी के अपने परिवार के साथ समय बिताऊ!
मगर किसी को भी न पाकर निराश हो चुकी थीं,
तभी अचानक सभी ने पीछे से एक साथ आकर मुझे हैरान कर दिया!
मैं अब भी रो रहीं थीं,
मगर वो आंसू खुशी के थें!
फिर जब सबने पूरी प्लानिंग बताई तो मेरी उत्सुकता का कोई ठिकाना न रहा,
मैं खुशी से उछल पड़ी!
मुझे यूँ खुश देख,
सभी मुस्कुरा दिए!
सचमुच बहुत अच्छे दिन थें वो,
वो अपनों से मिलने की उत्सुकता!
वो अपनों से रूठना,
वो अपनों को मनाना!
न जाने क्यों और कहाँ,
लुप्त हो गया!
वह परिवार का प्यार ही तो था,
जिसके लिए वो इतनी आतुर थीं!
फिर एक आंधी आई,
और सब बिखर गया!
परिवार टुट गया और हम बिछड़ गए,
मगर अवसर था घर की सबसे छोटी बेटी के विवाह का!
और फिर से परिवार का प्यार और एकता जीत गई,
सब एक हुए और परिवार फिर से एक हो गया!
बरसों के लम्बें इंतज़ार के बाद,
आज ये दिन आया हैं!
सारी दूरियाँ मिट गई,
और पूरा परिवार एक हुआ हैं!
आज घर की सबसे छोटी बेटी की शादी हैं,
और सभी के चेहरे खुशी से चमक उठें हैं!
दूर हुए सारें अंधियारें,
आज फिर से एक नई भोर हुईं हैं!
परिवार प्यार से ही बनता हैं,
प्यार ही होता हैं हर रिश्ते का आधार!
बिना प्रेम के सुना संसार,
और यही प्रेम और एकता और क्षमा भाव से बनता हैं हम सब का प्यारा परिवार!
©दीपशिखा अग्रवाल। 😍
माँ , बेइंतेहाँ मोहब्बत, इंतज़ार खामोशी अहसास,
मन मेरे, अब ठहर जा…, सपनों की दुनिया