किन्नर ये शब्द सुनकर ही अनेक लोग विभिन्न प्रकार के ख़याल सोचने लगतें है,
शायद वे उन्हें अपने समाज में कोई स्थान ही नहीं देना चाहतें,
आखिर समाज के लोग क्यों नहीं सोचते कि वे भी तो एक इंसान है,
उसे इंसान की तरह दर्जा क्यों नहीं देते,
समाज ने इतनी ख़राब छवि बनाकर रखी है,
कि लोग इनसे बात करना और देखना भी पसंद नहीं करते,
क्या वे ईश्वर की संतान नहीं है,
जो उन पर ऐसा अत्याचार हर रोज होता है,
इसमें गलती हम सबकी ही है,
हमनें उनको आगें बढ़ने का मौका ही नहीं दिया,
शिक्षा से लेकर हर कार्य तक उनकों उस काम से वंचित रखा,
क्या वह देश के नागरिक नहीं है,
क्या वह देश की उप्लाब्धि में भागीदारी नहीं देते,
उनकों मौका मिलने पर उन्होंने हमसें बेहतर कर के दिखलाया है,
वकील , जज, प्रधान अध्यापक बनकर समाज में अपना नाम गौरव करके भी दिखलाया है।
आज भी बहुत लोगों के अंदर यह गलत अवधारणा बैठी है,
कि किन्नर काम नहीं कर सकतें शिक्षा पर उनका हक नहीं,
केवल कुछ लोग ही उनका साथ देने को आते है,
हम सबकों मिलकर इस गलत अवधारणा को मिटाना है,
सभी कार्यो के लिये उनको हक भी दिलाना होगा,
वो छोटे है या हम बड़े इस भेद को समाज में पूरी तरह से मिटाना होगा,
सबकों बराबरी का दर्जा देकर अपने देश को मिलकर आगे बढ़ाना होगा।
✒️Alok Santosh Rathaur
@ehsaas_ki_awaaz