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गिनती के यार,
तुम्हारी जिंदगी में ठहर जाए ,
भले वो बहता हुआ दरिया हो,
जिसके दायरे में तकलीफें न हो,
जो तुम्हारी खुशियों का जरिया हो।
जिनपे जान वार सको,
जिनसे प्यार कर सको,
जायज़ जिनका इंतजार हो,
जिनका तुमपे तुमसे
पहले अधिकार हो।
बस अपनी मुट्ठी में समेट लो,
इनके होते इतने ही गम बचेंगे ,
बेगरज़ जो तुम्हारे होंगे,
ऐसे बस गिनती के यार मिलेंगे।
जिनपे पूरा हक़ हो,
जिनका होना गुड लक हो,
जिनकी सीधी हरकत पे भी,
हर बार बेमतलब का शक़ हो।
खुद के आँसू छिपा ले भले,
तेरी शिकन का भी हिसाब रखते हैं,
वो तेरे लिये लड़ ले दुनिया से भी,
जो चेहरे पे
मासूमियत का नकाब रखते हैं ।
हम उम्र भर धागे बांधकर ,
कितनी ख्वाईशों के लिये सजदे करते हैं,
जिन्हे नसीब से मिले हैं उन्हे पूछो,
वो हर दुआ में बस दोस्ती रखते हैं।
-अंजली कश्यप
प्रकृति की सुरक्षा अनावश्यक हैं
About Post Author
Sachin Gupta
Law graduated in 2019, Practicing as an advocate in Delhi. Presently, I want to post my ideas.
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