
तेरा इश्क़ ही तो है, जो टपकता अश्क़ बन के बहता मेरे तकिये तले। तेरा इश्क़ ही तो है, जो रिझाता मुझे ख्वाब बन के, पाकर जिसे मेरा दिल खिले। तेरा इश्क़ ही तो है, जो तड़पाता मुझे याद बन के, सोचकर जिसे मेरा दिन बने। तेरा इश्क़ ही तो है, जो महताब सा ठंडा, निहार कर जिसे मेरी रात बने। तेरा इश्क़ ही तो है जिसकी दीवानगी ये दिल सहे, यादों में जिसकी ये दिल रहे। हाँ ,हाँ तेरा इश्क़ ही तो है।।