मेरे दिल में रहता है मेरा वो दोस्त
जो सुनने को रहता है मुझे हर पल तैयार
जो सुनकर मेरी हर बात को कहता है
शायर है तू यार
याद है मुझे स्कूल के वो दिन
न रह पाते थे एक क्लास भी एक दूसरे के बिन
तू स्कूल आया , तो मैं स्कूल आउंगा कहते थे
भिंडी की सब्जी हो या टीचर की डांट सब साथ सह्ते थे
रोज एक दूसरे से टीचर की बुराई हम करते थे
छुट्टी के बाद एक दूसरे से एक घंटे ज्यादा बाते करने को हम एक्स्ट्रा क्लास कहते थे
और एक दूसरे को ज़िंदगी में आगे भड़ाते थे
पढाई भी हम तो मिल बाँट के ही किया करते थे
एक दूसरे का चेहरा देख के ही भगवन का शुक्रिया हो जाता था
मात्र उससे ही दिल बहुत हल्का हो जाता था
लेकिन वो दिन भी बीत गये, हम स्कूल से पास हो गए
अब तो बात हुए भी बरसो बीत गये
हाँ , मगर आज भी जब कभी बात होती है तो दिल को सुकून मिलता है
उस दोस्त का नाम आज भी दिल से आता है।
-: अंशुल जैन :-
मेरा दोस्त मेरा दिल
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Sachin Gupta
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