विषय शून्य
विधा कविता
शून्य ही है ज़िन्दगी में शून्य से मुलाकात है
मैं अनंत अवतरण मेरी शून्य से ही बात है
शून्य से शुरुआत है और शून्य ही तो अंत है
शून्य ही है ज़िन्दगी और
शून्य ही अनंत है।।
शून्य परिधि का सूचक शून्य ही उदार है
लाखों की गडणा का शून्य ही आधार है।।
शून्य मुझमें है कभी वो शून्य ही विद्यमान है
शून्य को ही सोचकर आर्यभट्ट बनता महान है।।
शून्य का है मोल नहीं और शून्य ही अनमोल है
शून्य ही गिनती का सूचक शून्य ही तो मोल है।।
शून्य मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा राज़ है
शून्य ही दुनिया मेरी करोड़ों का रिवाज़ है।।
शून्य ही ले जाता उन्नति पर शून्य ही तो आस है
दस बीस बनता शून्य से
शून्य करोड़ों की आवाज़ है।।
©️Ankita Virendra Shrivastava IG ankitavshrivas
Ayodhya Uttar Pradesh
विषय शून्य