शहीदों के माँ के ह्रदय की पीड़ा गाना चाहती है,
बधिर हैं जो लोग उनको भी सुनाना चाहती है।
राजनीति की दिवारें देश खोखला कर रही,
आज कलम तलवार बन सबको बताना चाहती है।।
गलियों और चौबारों में जिनके आज ताले हैं,
जिन्होनें अपने घरो में देशद्रोहियों को पाले हैं।
आओ आज उसका अंजाम दिखाना चाहती है,
जड़ से मिटा देने का उनको एक बहाना चाहती है।।
आज कलम तलवार बन सबको बताना चाहती है।।
जो जाकर वापस फिर लौट पाया नहीं,
जो पुत्र है माँ भारती का है पराया नहीं।
लाल के कातिल को शूली पर चढ़ाना चाहती है,
हाँ उन्हें जड़ से मिटाने का एक बहाना चाहती है।।
मेरी कलम तलवार बन सबको बताना चाहती है।।
कैसे रोकूं अगर वो चिल्लाना चाहती है,
देशद्रोही को मारने का एक बहाना चाहती है।
मेरी कलम तलवार बन सबको बताना चाहती है।।
शहीदों के माँ के ह्रदय की पीड़ा गाना चाहती है,
✍🏻 sakshee🙂
@_sakku_writes
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Sachin Gupta
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